उषा प्रियंवदा
गजाधर बाबू ने कमरे में जमा सामान पर एक नज़र दौड़ाई -- दो बक्से, डोलची, बालटी -- ''यह डिब्बा कैसा है, गनेशी?'' उन्होंने पूछा। गनेशी बिस्तर बाँधता हुआ, कुछ गर्व, कुछ दु:ख, कुछ लज्जा से बोला, ''घरवाली ने साथ को कुछ बेसन के लड्डू रख दिए हैं। कहा, बाबूजी को पसन्द थे, अब कहाँ हम गरीब लोग आपकी कुछ खातिर कर पाएँगे।'' घर जाने की खुशी में भी गजाधर बाबू ने एक विषाद का अनुभव किया जैसे एक परिचित, स्नेह, आदरमय, सहज संसार से उनका नाता टूट रहा था।
''कभी-कभी हम लोगों की भी खबर लेते रहिएगा।'' गनेशी बिस्तर में रस्सी बाँधते हुआ बोला।
''कभी कुछ ज़रूरत हो तो लिखना गनेशी! इस अगहन तक बिटिया की शादी कर दो।''
गनेशी ने अंगोछे के छोर से आँखे पोछी, ''अब आप लोग सहारा न देंगे तो कौन देगा! आप यहाँ रहते तो शादी में कुछ हौसला रहता।''
गजाधर बाबू चलने को तैयार बैठे थे। रेल्वे क्वार्टर का वह कमरा, जिसमें उन्होंने कितने वर्ष बिताए थे, उनका सामान हट जाने से कुरूप और नग्न लग रहा था। आँगन में रोपे पौधे भी जान पहचान के लोग ले गए थे और जगह-जगह मिट्टी बिखरी हुई थी। पर पत्नी, बाल-बच्चों के साथ रहने की कल्पना में यह बिछोह एक दुर्बल लहर की तरह उठ कर विलीन हो गया। Listen Audio Playback click here or
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Tuesday 14 August 2012
9वीं कक्षा के लिए तैयैर किये गये प्रश्न पत्र
9वीं कक्षा के लिए तैयैर
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6. प्रशें का उत्तर पाठ भाग से
7. प्रशें का उत्तर पाठ भाग से अपना विचार
8. डायरी 8
9. वार्तलाप
10. आत्मकथा
11. कविता से प्रश्न 1
12. कविता से प्रश्न शीर्षक 1
13. कविता का आशय 3
14. पोस्टर उदा-हिरोषिमा 3
15. क्रिया, काल, वर्तमान
काल..... 2
16. का के की आ ए ई जोडकर लिखें 2
17. योजक कि, और....... 2
18. क्रिया, विशेषण, संज्ञा, प्रत्यय ... 1
19. सर्वनाम परसर्ग 1
20. खंड के नीचे प्रश्न 2
21. खंड के नीचे प्रश्न 2
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